मूंग का उत्पादन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

मूंग एक लोकप्रिय कम अवधि वाली दलहनी फसल है।जो भारत में प्रोटीन से भरपूर आहार के रूप में जानी जाती है। । यह खरीफ की ऋतु के समय और गर्मियों के मौसम में उगाई जाती है। इनमे विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। दालों में सबसे पौष्टिक दाल, मूंग में प्रचुरता में पौटेशियम, आयरन, कैल्शियम की मात्रा होती है।

मूंग का उत्पादन  बढ़ाने  के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

मूंग एक लोकप्रिय कम अवधि वाली दलहनी फसल है।जो भारत में प्रोटीन से भरपूर आहार के रूप में जानी जाती है। । यह खरीफ की ऋतु के समय और गर्मियों के मौसम में उगाई जाती है। इनमे विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। दालों में सबसे पौष्टिक दाल, मूंग में प्रचुरता में पौटेशियम, आयरन, कैल्शियम की मात्रा होती है।

जलवायु और मिट्टी

मूंग की खेती के लिए दोमट एवं बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम होती हैl भूमि में उचित जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चहियेl सिचिंत एवं असिचिंत दोनों क्षेत्र में इस की खेती आसानी से की जाती है।

  • तापमान: 25-35°C।
  • मिट्टी भुरभुरी, उपजाऊ और जल निकासी वाली होनी चाहिए।
  • पीएच स्तर: 6.5-7.5।

बिजाई का समय -

  •  ग्रीष्मकाल: 15 Feb – 30 March  तक  करनी चाहिए l
  •   खरीफ:  15 June – 15 July  तक करनी चाहिए l

 बीज की मात्रा  -

  •  ग्रीष्मकाल (मोटे  दाने वाली  किस्म): 8 – 10 Kg
  •  खरीफ (मोटे  दाने वाली  किस्म): 6 – 8 kg
  •  ग्रीष्मकाल (छोटे दाने वाली  किस्म): 5 -7 kg
  •  खरीफ (छोटे दाने वाली  किस्म): 4 - 5 kg

 बिजाई का तरीका -      

पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो चलाकर करनी चाहिए तथा फिर एक क्रॉस जुताई हैरो से एवं एक जुताई कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर भूमि समतल कर देनी चाहिए l बिजाई कतारो में करनी चाहिए l कतारो के बीच दूरी 45 से.मी. तथा पौधों से पौधों की दूरी 10 से.मी.  उचित है l

 मूंग की किस्मे   

  • Virat:            65 - 70 दिन
  • Virat Gold:     65 - 70 दिन
  • Virat Shakti:  65 - 70 दिन              
  • SVM 55:         55 - 60 दिन             
  • SVM 66:         65 -70 दिन             
  • SVM 88:         65 - 70 दिन           
  • SVM 98:         70 - 75 दिन

खाद एवं उर्वरक –

दलहन फसल होने के कारण मूंग को कम नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है l फिर भी नाइट्रोजन 5 किलो (12 किलो यूरिया), फासफोरस 16 किलो (100 किलो सिंगल सुपर फासफेट) की मात्रा बिजाई के समय प्रति एकड़ में डालनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण  -

बुवाई के 15-20 दिनों बाद पहली और 40-45 दिनों बाद दूसरी निराई करनी चाहिए। इनमे घास व चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार आते है ।

 सिंचाई व जल निकास

खरीफ में मूंग की फसल को सिंचाई की जरुरत नहीं पड़ती है, अधिक बारिश की दशा में खेत से पानी निकलना बेहद जरुरी होता है। खेती में पानी न निकालने से पदगलन रोग हो जाता है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है। 

मुख्य कीट और रोग प्रबंधन - 

कातरा , सफ़ेद मक्खी एवं हरा तेला ,फली छेदक (सुंडी ) 

लीफ स्पॉट ,पीला मौजेक ,पत्तो का जीवाणु रोग ( बैक्टीरियल ब्लाइट ) 

कटाई एवं गहाई –

जब फलियॉ  70 %  पक जाए तो मूंग की  कटाई कर  देनी चाहिए । मूंग की फलियॉ जब काली पड़ने लगे तथा सूख जाए तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए । अधिक सूखने पर फलियों चिटकने का डर रहता है। फलियों से बीज को थ्रेसर द्वारा या डंडे द्वारा अलग कर लिए जाता है ।

          

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