बरसीम चारा उत्पादन की समग्र सिफारिशें

बरसीम का चारा बहुत ही पौष्टिक व स्वादिष्ट होता है। चारे की बहु-कटाई वाली फसल होने के कारण इसका पशु पालन में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी अधिक पैदावार लेने के लिए निम्न शस्य क्रियाएं अपनानी चाहिए।

बरसीम चारा उत्पादन की समग्र सिफारिशें

भूमि व खेत की तैयारीः उपजाऊ व दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी होती। हल्की व रेतीली मिट्टी में इसकी खेती नहीं की जा सकती। खेत की 3-4 जुताई करके समतल करें तथा खेत से घास-फूस निकाल दें। बिजाई का समयः अक्टूबर का पूरा महीना इसकी बिजाई के लिए उपयुक्त है। सितम्बर के महीने में ज्यादा तापमान होने की वजह से बिजाई नहीं करनी चाहिए।

बीज की मात्रा व बीज उपचारः बरसीम का 8-10 कि.ग्रा. बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है। बरसीम की पहली कटाई से ज्यादा चारा प्राप्त करने के लिए 500 ग्रा. चाईनीज कैबेज (गोभिया सरसों) या 10 कि.ग्रा. जई का बीज भी प्रति एकड़ डालें। अगर खेत में पहली बार बरसीम की बिजाई कर रहे है तो बीज को बिजाई से पहले रायजोबियम नाम के टीके से उपचारित करें। इसके लिए 100 ग्राम गुड़ को एक लीटर पानी में घोल कर इसमें एक टीका मिला दें। इस घोल को 8-10 कि. ग्रा. बीज दर पर छिड़क कर हाथों से अच्छी तरह मिला दें। बीज को छाया में सुखाकर बिजाई करें।

बिजाई का तरीका: खेत में सुविधानुसार क्यारियाँ बनाकर पानी से भरें। जब पानी ठहर जाए तो बीज का छिट्टा देवें।

उर्वरकः बरसीम में फॉस्फोरस वाली खादों की ज्यादा जरूरत होती है। बिजाई से पहले आखिरी जुताई के समय 10 कि.ग्रा. नाईट्रोजन (22 कि.ग्रा. यूरिया) व 30 कि.ग्रा. फॉस्फोरस (188 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट) प्रति एकड़ दें।

सिंचाई: बरसीम में पहली सिंचाई हल्की भूमि में 3-4 दिन बाद तथा भारी मिट्टी में बिजाई के 6-7 दिन बाद करें। जमीन में दरारें न पड़ने दें। इसके बाद 15 दिन बाद सिंचाईयां करें तथा मार्च महीने के बाद 10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें।

कटाई: बरसीम की पहली कटाई 50-60 दिन बाद करें, इसके बाद सर्वियों में 30-35 दिन तथा बसंत में 20-25 दिन बाद कटाई करें। इस तरह 5-6कटाईया हो जाती हैं।

बीमारियां:

  • तना गलनः इस बिमारी से ग्रस्त पौधों के तने जमीन की सतह से गलकर टूट जाते हैं तथा वहाँ पर सफेद रंग की फंफूद बन जाती है। इसकी रोकथाम के लिए अलग फसल चक्र अपनाएं तथा रोग रहित बीज प्रयोग करें। 100 ग्राम बॉवस्टिन को 100 लीटर पानी में घोल कर प्रभावित क्षेत्र में छिड़‌काव करें।

More Blogs