भूमि : जीरा लगभग सभी प्रकार की भूमियों में जैसे दोमट एवं बलुई दोमट जिनमें जीवांश पदार्थ अधिक हो, उगाया जा सकता है। जीरे की फसल लेने के लिए अच्छे जल निकास वाली भूमियाँ उत्रम मानी जाती है।
खेत की तैयारी : एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से 2-3 जुताई ट्रैक्टर से करें तथा गोबर की सड़ी खाद मिला दें।
बुवाई का समय : बुवाई का उत्तम समय मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर है।
बीज की मात्रा : 4-5 कि.ग्रा. प्रति एकड़ उच्च गुणवत्रा का उपचारित बीज।
बुवाई का तरीका: जीरे की फसल कभी भी छिड़क कर न बोये। 30ग10 से.मी. के अन्तर पर जीरे की बिजाई करनी चाहिए। अच्छे अकुंरण के लिए जीरे को बिजाई से 8 घन्टे पहले पानी में भिगो कर रखें।
खाद एवं उर्वरक : 10 टन अच्छी सड़ी गोबर की खाद बिजाई से तीन सप्ताह पूर्व मिला देनी चाहिए। इसके अलावा 15 कि.ग्रा. यूरिया, 50 कि.ग्रा. सिगंल सुपर फास्फेट बिजाई के समय तथा 10 कि.ग्रा. यूरिया बुवाई के 30 दिन बाद देनी चाहिए।
सिंचाई : अकुंरण अच्छा और शीघ्र हो अतः शुरु में हल्की सिंचाई करके भूमि को नम रखें। बीज को उगने में 20 दिन तक लग जाते हैं। इसके लिए लगभग 30 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। यह ध्यान रखें कि जब फसल पकने पर हो तो सिंचाई कम कर देनी चाहिए।
कटाई : पौधे जब भूरे पीले रंग के होने लगें तब कटाई करनी चाहिए। कटाई जहां सम्भव हो प्रातः काल में करनी चाहिए। कटी फसल को लगभग एक सप्ताह खड़ी करके सुखा लेनी चाहिए तथा निकाल लेनी चाहिए।
पौध संरक्षण :
(बीमारियां )
झुलसा (Blight): 200 ग्राम डाएथेन एम-45 को 120 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
उकटा : 400-500 ग्राम कार्बेडाजिम या कीटाजिन 200 लीटर पानी प्रति एकड की दर से स्प्रे करें।
चूर्णिल आसिता/छाछिया: यह रोग उगने के बाद होता है। इसके लिए 400 ग्राम घुलनशील गंधक का स्प्रे 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करे।
(कीट)
तेला : 400 मि.ली. मोनोक्रोटोफास का 200 लीटर शुद्ध जल में छिड़काव करे।