चरी (ज्वार) उत्पादन की समग्र सिफारिशें

चारे वाली ज्वार की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली मध्यम दोमट से भारी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।

चरी (ज्वार) उत्पादन की समग्र सिफारिशें

बिजाई का समयः गर्मी 15 फरवरी से 15 अप्रैल तक

खरीफ सिंचित क्षेत्रों में 25 जून से 10 जुलाई तक तथा असिंचित क्षेत्रों में मानसूर के आगमन पर

 

बीज की मात्रा तथा सिंचाई का ढंगः साधारण बीज वाली किस्मों का 20-25 कि.ग्रा. तथा छोटे बीज वाली किस्मों का 10-12 कि.ग्रा. बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें। बिजाई छिड़काव विधि से न करके 20-25 से मी. चौड़ी लाईनों में करें।

 

उर्वरकः 20 कि.ग्रा. नत्रजन (43 कि.ग्रा. यूरिया) बिजाई के समय दें तथा 10 कि.ग्रा. नत्रजन (22 कि.ग्रा. यूरिया) प्रति एकड़ बिजाई के एक महीने बाद दें। ज्यादा कटाई वाली किस्मों में हर कटाई के बाद 22 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ वें।

मध्यम व निम्न फॉस्फोरस तथा पोटाश वाले क्षेत्रों में 10 कि.ग्रा. फॉस्फोरस (62 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट) व 10 कि.ग्रा. पोटाश (17 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ बिजाई के समय दें।

 

खरपतवार नियंत्रणः बिजाई के 20-25 दिन बाद एक गुड़ाई अवश्य करें। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 400 ग्रा. एट्राजीन (50 प्रतिशत घु. पा.) प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में बिजाई के तुरन्त बाद छिड़काव करें।

 

सिंचाई: गर्मी की फसल में 4-5 सिंचाईयों की जरूरत पड़ती है तथा खरीफ में मानसून वर्षा की उपलब्धता के आधार पर सिंचाई करें।

 

हानिकारक कीड़ें व उनकी रोकथामः

गोभ छेदक मक्खी (शूट फ्लाई): यह मक्खी ज्यार की फसल को मार्च से मई और जुलाई से सितम्बर तक नुकसान पहुंचाती है। यह पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है तथा सुण्डियों के आक्रमण से गोभ सूख जाती है।

तना छेदक (स्टेम बोरर): इसका आक्रमण बिजाई के 15-20 दिन बाद ही शुरू हो जाता है तथा पौधे की गोभ सूख जाती है। गोभ छेदक मक्खी व तना छेदक की रोकथाम के लिए 100 मि.ली. सायपरमैथिन 25 प्रतिशत ई.सी. (सायपरकिल) या 100 ग्रा. इमामैक्टिन बैंजोएट (प्रोक्लेम) प्रति एकड़ का 200 लीटर पानी में छिड़‌काव करें।

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