कृषि जलवायु परिस्थितियां: यह औसत मासिक तापमान 21°C पर सबसे बढ़िया ढंग से बढ़ता है, मौसम पालारहित होना चाहिए। गरम, रोशनीवाला मौसम फल के ठीक से पकने, रंग पकड़ने और ऊंची पैदावार के लिए अच्छा होता है।
नर्सरी की तैयारी: नर्सरी तैयार करने हेतु आदर्श क्यारी 60 सें.मी.चौड़ी 5 से 6 मी. लम्बी एवं 20-25 से.मी. ऊँची होनी चाहिए। क्यारी से ढेले तथा कंकड आदि हटा दें तथा गोबर की खाद व बालू मिलाकर भुरभुरा बना लें। क्यारी को फाइटोलॉन, डायथेन एम[email protected] ग्रॉम/लीटर पानी के घोल से भिगोएं। क्यारी की पूरी लम्बाई में 10 से 15 से.मी. की दूरी पर लाइनें बना दें। इन लाइनों में बीज की बुआई कर दें।
हल्के से बीज को जमीन में दबा कर बालू एवं भूसे से ढक दें तथा फुहारे से सिंचाई करें। अंकुरण होने तक क्यारी को दिन में दो बार सींचे।
अंकुरण होने के बाद भूसा हटा दें। 4 से 5 पत्ती निकलने पर थाइमेट का प्रयोग करें। पौधों पर मेटासिस्टाक्स/थायोडान @ 2-2.4 मिली/लीटर पानी तथा डाइथेन एम-45 @ 2-2.4 ग्रॉम/लि. पानी का छिड़काव करें। ठंडे मौसम में अच्छे जमाव के लिए क्यारियों के ऊपर पोलीथीन की टनल बनाए एवं जमाव होने पर हटा दें।
बुवाई का समय :
उत्तरी भारत
- जून - जुलाई- सर्दी की फसल के लिए
- नवम्बर - बसंत-गर्मी की फसल के लिए
- मार्च - बरसात की फसल के लिए
मध्य भारत और महाराष्ट्र मई जून, अगस्त सितम्बर, दिसम्बर -जनवरी
पूर्वी तथा दक्षिणी भारत यह फसल पूरे साल भर उगाई जा सकती है।
अंतर (सें.मी.): पंक्ति से पंक्ति 75, पौध से पौध - 60
बीज दर (ग्राम/हेक्टेयर): 100-120
खाद की मात्रा अच्छी से विघटित एफवाईएम की 15-20 टन मात्रा खेत तैयार करते समय उसमें मिलाएं, एनपीके की मात्रा का नीचे दिए अनुसार (किलो/हेक्टेयर) प्रयोग करें।
अवस्था |
एन |
के |
पी |
रोपाई |
40 |
100 |
100 |
रोपाई के 20 दिन बाद |
40 |
0 |
0 |
पुष्पण से पहले |
40 |
0 |
0 |
पहली तुड़ाई के बाद |
40 |
0 |
0 |
कुल |
160 |
100 |
100 |
नोट: 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन 87 कि.ग्रा. यूरिया, 100 कि.ग्रा. फास्फोरस = 217 कि.ग्रा. डी.ए.पी., 100 कि.ग्रा. पोटाश = 166 कि.ग्रा. एम.ओ.पी.
खरपतवार नियन्त्रण : टमाटर की फसल में रासायनिक खरपतवार नियन्त्रण के लिए पैन्डीमैथालिन नामक दवा का 1 किलोग्राम प्रति हेक्टेअर की दर से (स्टोम्प 30 प्रतिशत का 3.25 लीटर) पौध रोपण के 4-5 दिन बाद छिड़काव करें।
पौध सुरक्षा –
प्रमुख कीट
- माहो/तेला/चुरदा : थाइमेट (फोरेट) का 12.5 किलो/हेक्टेअर की दर से छिड़काव करीब 21 दिनों के लिए फसल को अच्छी सुरक्षा प्रदान करता है। एण्डोसल्फान (थियोडॉन) या ऑक्सीडेमेटॉन मिथाइल (मेटासाइस्टॉक्स) का 2 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
- सफेद मक्खी : ट्रायाजोफॉस (हॉस्टाथियॉन) का 2-3 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
- फल छेदक : प्रभावित पौधों तथा फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें। क्विनॉलफॉस (एकालक्स) का 2.5-3.0 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। मालाथियॉन 3 मिली या कार्बारिल 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
- अॅश विव्हील: रोपाई के 15 दिनों के बाद कार्बोफुरान 3 जी का 20 किलो/हेक्टेअर की दर से छिड़काव करें।
- कुटली : डायकोफॉल (केल्थेन) का 2.7 मिली. या सल्फर का 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
- जड़गांठ की कृमियां (नेमॅटोड): कार्बोफुरान (फुराडॉन) 3 जी का 20 किलो या फोरेट (थाइमेट) 10जी का 12.5 किलो/हेक्टेअर की दर से छिड़काव करें।
मुख्य बीमारियां :
- ब्लाईट : फसल पर मैंकोजेब (डाइथेन, एम-45) का 2.4-3 ग्राम/लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
- फुझारियम मुरझान : फसलों को बदल-बदल कर (4-5 वर्ष) बोएं।
- वायरल जटिलता: वायरस वाहक तत्वों पर नियंत्रण करें।
रस चूसने वाले कीटक एवं पत्तियां खाने वाली सुण्डी के नियंत्रण के लिए उत्तम दर्जेदार कंपनी के आंतरप्रवाही एवं सुण्डिनाशक दवाई का प्रयोग करना चाहिए।
नोटः उपरोक्त दी गई सभी जानकारियां हमारे अनुसंधान केन्द्रों के निष्कर्षो पर आधारित है। फसल के परिणाम मिट्टी, प्रतिकूल जलवायु, मौसम, अपर्याप्त / घटिया फसल प्रबंधन, रोग एवं कीट के आक्रमण के कारण फसल तथा पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। फसल प्रबंधन हमारे नियंत्रण से बाहर है। अतः पैदावार के लिए किसान पूरी तरह जिम्मेदार है। स्थानीय कृषि विभाग द्वारा सुझाई गई सिफारिशें अपनाई जा सकती हैं।