ljlks dh lgh [ksrh dSls djsa ??
-
- परिचय
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है जो भारत में बहुतायत में उगाई जाती है। इसका तेल गुणकारी होता है और यह भारतीय कृषि का एक अहम हिस्सा है।
- जलवायु और मिट्टी
- जलवायु: सरसों ठंडी और सूखे मौसम में ज्यादा अच्छी होती है। इसका अच्छा विकास 10°C से 25°C तापमान पर होता है।
- मिट्टी: अच्छी बालुई मिट्टी सबसे बेहतर होती है, लेकिन यह चिकनी और बलुई मिट्टी में भी उग सकती है। मिट्टी की pH 6.0 से 7.0 के बीच होनी चाहिए।
- भूमि की तैयारी
- जुताई: खेत को अच्छी तरह से जुताई करें ताकि मिट्टी मुलायम हो जाए। गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें।
- समतलीकरण: खेत को समतल बनाएं ताकि पानी जमा न हो।
- बीज चयन और उपचार
- वैरायटी: स्थानीय जलवायु के अनुसार अच्छी किस्मों का चयन करें। भारत में लोकप्रिय किस्मों SMH 108 और SMH 20-22 शामिल हैं।
- बीज उपचार: बीजों को बीजोपचारक जैसे थिराम या कार्बेंडाज़िम से उपचारित करें ताकि फफूंद या रोगों से बचाव हो सके।
- बुआई
- समय: उत्तर भारत में अक्टूबर से नवंबर और दक्षिणी भारत में सितंबर में बुआई करें।
- विधि: बीजों को बीज ड्रिल या हाथ से बो सकते हैं। पंक्तियों के बीच 30-45 सेमी की दूरी रखें और प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज का उपयोग करें।
- गहराई: बीजों को 2-3 सेमी की गहराई पर बोएं।
- उर्वरक
- मिट्टी परीक्षण: मिट्टी का परीक्षण कराएं ताकि आवश्यक उर्वरकों का पता चल सके।
- लागू: प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन (N), 50-60 किलोग्राम फास्फोरस (P2O5), और 20-25 किलोग्राम पोटेशियम (K2O) डालें। नाइट्रोजन का आधा और बाकी फास्फोरस और पोटेशियम बुआई से पहले डालें, और नाइट्रोजन का बाकी हिस्सा फूल आने के समय डालें।
- सिंचाई
- जल की आवश्यकता: सरसों को 3-4 बार सिंचाई की जरूरत होती है। बुआई के बाद सिंचाई करें और फिर फूल आने और फली बनने के समय सिंचाई करें।
- जलभराव से बचाव: पानी के ठहराव से बचने के लिए खेत में सही निकासी का ध्यान रखें।
- खरपतवार नियंत्रण
- खरपतवार: खरपतवारों को या अगर ज्यादा हो तो दवाई से नियंत्रित रखे। शुरुआती वृद्धि के दौरान खरपतवार हटाना जरूरी है।
- कीट और रोग प्रबंधन
- कीट: आम कीटों में तेला चेपा, सरसों मख्खी और गोभी की सुंडी शामिल हैं। उचित कीटनाशकों से इनको नियंत्रित किया जा सकता है।
- रोग: प्रमुख रोगों में पाउडरी मिल्ड्यू शामिल हैं। रोग प्रतिरोधी किस्में और फफूंदीनाशकों का उपयोग करके उनको नियंत्रित किया जा सकता है ।
- कटाई
- परिपक्वता: जब फली भूरे और सूखे हो जाएं, तो कटाई करें। फली को हिला कर देखें कि वे खड़खड़ाते हैं।
- विधि: फसलों को कुल्हाड़ी से काटें और खेत में सूखने के लिए छोड़ दें। सूखी फसलों को थ्रेश करें और बीज निकालें।
- फसल के बाद प्रबंधन
- सफाई: बीजों को अच्छे से साफ करें।
- भंडारण: बीजों को ठंडी, सूखी और हवा बंद जगह पर रखें ताकि वे नमी और कीटों से सुरक्षित रहें।
- फसल चक्रीकरण और स्थिरता
- चक्रीकरण: मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और कीट व रोगों को नियंत्रित करने के लिए फसल चक्रीकरण करें।
- स्थिरता: स्थिरता के लिए जैविक खेती और समान्वित कीट प्रबंधन (IPM) का उपयोग करें।