1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
इस मिशन के अंतर्गत चावल, गेहूं, दालें और मोटे अनाज जैसी फसलों के प्रमाणित बीजों पर सब्सिडी दी जाती है। 2025 में इस योजना के तहत खासकर दालों और तिलहन फसलों पर अधिक फोकस किया जा रहा है। किसानों को 50% से 75% तक की बीज सब्सिडी प्रदान की जा रही है, जो क्षेत्र और फसल के अनुसार तय होती है।
2. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY-RAFTAAR)
इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकारों को कृषि संबंधी आवश्यक योजनाएं लागू करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। 2025 में कई राज्यों ने इसके तहत बीज मिनी-किट वितरण कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें उच्च उत्पादन और जलवायु अनुकूल बीज दिए जा रहे हैं।
3. बीज एवं रोपण सामग्री पर उप-आयोग (SMSP)
यह केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन और वितरण बढ़ाना है। 2025 में इस योजना के अंतर्गत किसानों को फाउंडेशन व प्रमाणित बीजों पर सब्सिडी मिल रही है, साथ ही बीज प्रोसेसिंग इकाइयों के लिए सहायता भी दी जा रही है।
4. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
हालांकि यह योजना सिंचाई पर केंद्रित है, लेकिन इसमें एकीकृत खेती के तहत बीज भी शामिल किए गए हैं। जो किसान सूक्ष्म सिंचाई तकनीक के साथ उच्च गुणवत्ता वाले बीज अपना रहे हैं, उन्हें बीज पर अतिरिक्त सब्सिडी मिल रही है।
5. राज्य स्तरीय बीज सब्सिडी योजनाएं
कई राज्य सरकारें भी अपनी अलग योजनाएं चला रही हैं। जैसे महाराष्ट्र की "सीड विलेज योजना" और तमिलनाडु की "एकीकृत बीज विकास योजना" स्थानीय जरूरतों को देखते हुए किसानों को अनुकूल बीजों पर सब्सिडी दे रही हैं।
6. डिजिटल प्लेटफॉर्म और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)
2025 में डिजिटल तकनीकों की मदद से किसान अब योजनाओं का लाभ सीधे अपने खातों में प्राप्त कर रहे हैं। मोबाइल ऐप्स और पोर्टलों के माध्यम से योजनाओं की जानकारी, बीज विक्रेताओं की सूची और सब्सिडी की स्थिति आसानी से देखी जा सकती है।
निष्कर्ष
2025 में भारत सरकार ने बीज सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय और राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से अब किसान गुणवत्ता वाले बीज किफायती दामों पर प्राप्त कर रहे हैं, जिससे उनकी पैदावार और आय में सुधार हो रहा है। यदि इन योजनाओं के प्रति जागरूकता और वितरण प्रणाली को और मज़बूत किया जाए, तो इसका लाभ और अधिक किसानों तक पहुँच सकता है।